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बारिश नहीं होने पर मुरझाने लगी फसलें:शुरू में हुई झमाझम बारिश आसमान से नदारद, अब किसान चिंतित

www.bhasker.com | 04-Jul-2021
बारिश नहीं होने पर मुरझाने लगी फसलें:शुरू में हुई झमाझम बारिश आसमान से नदारद, अब किसान चिंतित मानसून आने से पहले हुई अच्छी बारिश के बाद किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई इस उम्मीद से कर दी थी कि बारिश हो रही है इसलिए अबकी बार फसलें अच्छी होंगी। लेकिन पिछले दस दिन से बारिश नहीं होने के कारण अब खेतों ...

बारिश नहीं होने पर मुरझाने लगी फसलें:शुरू में हुई झमाझम बारिश आसमान से नदारद, अब किसान चिंतित

मानसून आने से पहले हुई अच्छी बारिश के बाद किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई इस उम्मीद से कर दी थी कि बारिश हो रही है इसलिए अबकी बार फसलें अच्छी होंगी। लेकिन पिछले दस दिन से बारिश नहीं होने के कारण अब खेतों में धान सोयाबीन, उड़द तिल आदि फसलें सूखने लगी हैं। इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं।

newsजिन किसानों ने अपने खेतों में प्री मानसून में बुवाई कर दी थी। अब खरीफ की फसलें सूखने की स्थिति में आ गई हैं। क्षेत्र में अधिकतर रकबे में इस बार धान की फसल बोई थी वहीं उड़द, मूंग, सोयाबीन, तिल एवं मक्का की बुवाई हो चुकी है। इस कारण किसानों को फसल के बरबाद होने की चिंता सता रही है। किसानों द्वारा खेतों में डाले गए बीज अंकुरित तो हुए, लेकिन मिट्टी में नमी नहीं होने की वजह से वह या तो जमीन से बाहर नहीं निकल पाए या फिर निकले तो मुरझाने लगे हैं। जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी के साधन हैं, वह खेतों में पानी दे रहे हैं।

जबकि, अधिकांश किसानों ने फसलें पैदा नहीं होने की उम्मीद में खेतों की दोबारा जुताई शुरू कर दी है। तेज धूप से पौधे सूखने लगे हैं। हालात यह है कि ग्राम महुआ खेड़ा कला, बेरखेड़ी, तुलसीपार, खैरी, कल्याणपुर, झिरिया, खजुरिया ध्वाज, गोंडाखोह समेत तहसील के अन्य गांवों में खरीफ की धान, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का आदि फसलें सूखने के स्थिति में आ गई हैं। किसानों ने इस बार धान अधिक वही है जो 65 सो रुपए क्विंटल एवं 7000 रुपए क्विंटल का सर्टिफाइड बीज खरीदा है वही सोयाबीन 9000 से 10 हजार क्विंटल तक खरीदा गया वह भी बीज उपलब्ध नहीं हो पाया इसलिए लोगों ने धान की बोनी अधिक की है।

किसान बोले- बारिश नहीं हुई तो लागत निकालना मुश्किल
क्षेत्र के किसान सौरव यादव घोगरी, सौरभ शर्मा महुआ खेड़ा,प्रदीप शर्मा ध्वाज, रफीक मंसूरी आदि ने बताया आषाढ़ बीत रहा है। वहीं अब सावन का महीना भी आने वाला है। बरसात नहीं होने से कहीं-कहीं बीजों का अंकुरण भी नहीं हुआ है। इससे फसल की लागत तक निकलना मुश्किल हो जाएगा। यदि शीघ्र बरसात नहीं हुई तो क्षेत्र का किसान बर्बाद हो जाएगा।