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बारिश की बेरुखी:17 दिनों में सिर्फ 27 मिमी बारिश, सूखने लगी फसलें,1.62 लाख हेक्टे. में बोवनी नहीं

www.bhasker.com | 18-Jul-2021
बारिश नहीं होने के कारण खेतों में लगी धान सूख गई है और अब तो खेतों में दरारें भी पड़ चुकी हैंं। 400 के आसपास पारा होने से नमी हो रही कम बोई गई फसल को बचा पाना किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है जिले में बीते एक महीने से अच्छी बारिश नहीं हुई है। यहां तक की जुलाई महीने के 17 दिनों में तो महज 27 मिम ...

बारिश नहीं होने के कारण खेतों में लगी धान सूख गई है और अब तो खेतों में दरारें भी पड़ चुकी हैंं।
400 के आसपास पारा होने से नमी हो रही कम
बोई गई फसल को बचा पाना किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है

newsजिले में बीते एक महीने से अच्छी बारिश नहीं हुई है। यहां तक की जुलाई महीने के 17 दिनों में तो महज 27 मिमी बारिश ही हुई है, जबकि जून के पहले पहले पखवाड़े में अच्छी बारिश होने के बाद किसानों ने तेजी से बोवनी शुरू कर दी। उसके बाद एक महीने के लिए बारिश खिंच गई। बारिश की यहीं खेंच खरीफ फसलों के लिए संकट बन गई।

जिले में इस बार खरीफ फसल के लिए 3 लाख 86 हजार हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य रखा गया था। जबकि महज 2 लाख 23 हजार हेक्टेयर रकबे में ही बोवनी की जा सकी है, जबकि 1 लाख 62 हजार हेक्टेयर रकबा पानी की कमी से खाली पड़ा है। वहीं बोई गई फसल को बचा पानी किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है। 2 जुलाई तक जिले में 1 लाख 68 हजार हेक्टेयर में बोवनी की जा चुकी थी। उसके बाद 9 जुलाई तक एक सप्ताह में महज 29.66 हजार हेक्टेयर और अगले सप्ताह 16 जुलाई तक 25.24 हेक्टेयर रकबे में ही खरीफ की बोवनी हो पाई है। इस तरह से जिले में लक्ष्य की 68.69 प्रतिशत ही बोवनी की जा सकी हैं।

उम्मीद... 21 से बनेगा बंगाल की में खाड़ी बनेगा कम दबाव का क्षेत्र

किसान की कहानी उन्हीं की जुबानी-

जलस्तर कम होने से फसलों में सिंचाई की पूर्ति नहीं हो पा रही है

रायसेन-विदिशा के बीच स्थित मेहगांव के किसान बताते हैं कि भैया बारिश न होने से जिन्होंने पहले धान की फसल लगी दी थी उसे बचाने के लिए गड़ों में पानी भरने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। पानी की कमी आ गई है। इससे जरूरत के मुताबिक पूर्ती भी नहीं हो पा रही है। जैसे-तैसे किसानों ने कुछ रकबे में धान का रोपा लगा दिया था। अब उसे बचाना मुश्किल हो रहा है। इसी तरह ज्वार और मक्का की फसल को बचाने के लिए भी सिंचाई करना पड़ रही है।

कड़क होने से 3 रुपए प्रति किलो मिल रहे मक्का के भुट्टे के दाम

मेहगांव के उन्नत किसान बृजेंद्र बघेल बोले किसान प्रकृति से हार जाता है। इस बार हमने स्वीट कार्न का उत्पादन लिया, पूरी मेहनत की, लेकिन बारिश न होने और तेज धूप के चलते भुट्टे के दाने कड़क हो गए। जब मंडी में उन्हें बेचने गए तो 30 किलो भुट्टे की बोली महज 150 रुपए किलो लगी यानि मात्र 3 रुपए किलो। जबकि 15 दिन पहले 350 से 400 रुपए का भाव मिल रहा था। इधर पानी की कमी से दूसरी सभी फसलों की स्थिति खराब है।

कृषि वैज्ञानिक ने कहा: फसलों पर होगा असर

नकतरा कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वप्निल दुबे के मुताबिक बारिश नहीं होने से सोयाबीन की फसल में महज 3 से 4 पत्ती आ पाईं हैं और पौधों की लंबाई महज 15 से 20 सेमी है। यदि बारिश हुई होती तो सोयाबीन के पौधों की लंबाई 30 से 35 सेमी तक हो जाती और इनमें 8 से 10 पत्तियां आ जाती। इसके अलावा अधिक तापमान होने से मिट्टी में तेजी से नमी भी कम हो रही है। 2 से 3 दिन में बारिश होने की सख्त दरकार हैं। वहीं धान में पानी की कमी आ गई। इस तरह से सभी तरह की खरीफ फसलें प्रभावित हो रही हैं।

मौसम में आगे: 19 से बारिश की संभावना

भोपाल मौसम केंद्र के मौसम वैज्ञानिक पीके साहा के मुताबिक उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी में 21 जुलाई से कम दबाव को क्षेत्र बनने लगेगा। इससे पहले ही 19 जुलाई से अच्छी बारिश की संभावना बन रही है। 10 और 11 जुलाई को जो संभावना बनी थी, लेकिन सिस्टम आंध्रप्रदेश, विदर्भ की तरह रुख कर गया था। इससे बारिश नहीं हाे पाई।