कोयले की कमी से देश में अभूतपूर्व बिजली संकट है। राजस्थान की 6 बड़ी बिजली उत्पादन कंपनियों के पास सोमवार तक 2.17 लाख मीट्रिक टन कोयले का स्टॉक है। इससे 3 दिन तक उत्पादन हो सकता है। ऐसे में भास्कर ने कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल से सीधे सवाल किए।
क्या राज्यों को कम कोयला आवंटित हो रहा है?
राजस्थान ने पूरे साल कोयला नहीं लिया। पैसे भी नहीं दिए। हमारे 500-600 करोड़ रु. बकाया है। अचानक कोयला मांगेगे तो संभव नहीं होगा। राजस्थान के पावर प्लांट को जितनी जरूरत है, उतना कोयला देंगे। कम कोयला आवंटन की बात गलत है। राजस्थान की खुद की अपनी माइंस हैं, वे खुद क्यों नहीं कोयले का उत्पादन शुरू करते।
अभी कितना कोयला आवंटित किया जा रहा है?
हम सीधे बिजली उत्पादन कंपनियों को कोयला आवंटित कर रहे हैं। स्टॉक की कमी दूर कर रहे हैं। रविवार को ही 19 लाख मीट्रिक टन कोयला दिया है। जितनी पावर बनती है, उनमें पूरा कोयला कंज्यूम नहीं हुआ है। कोयले की डिमांड इससे कम है। कोल इंडिया का उत्पादन 15 लाख मीट्रिक टन तक हो गया है। बारिश के कारण खदानों में पानी भरने से उत्पादन रोज 14 लाख मीट्रिक टन से कम हो गया था। अब 15 लाख मीट्रिक टन होने लगा है। साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन अन्य ब्लॉक से ले रहे है।
अचानक कोयले का उत्पादन क्या सिर्फ खदानों में पानी भरने के कारण कम हो गया?
जब स्टॉक करना था, तब राज्यों ने कोयला नहीं लिया। इस बार बारिश अक्टूबर तक चली। लगातार पानी बरसने से 170 से ज्यादा खदानों में पानी भर गया। हालांकि ऐसा हर साल होता है। ऐसा पहली बार नहीं कि पानी भरने से उत्पादन ठप हो गया हो। पावर प्लांट को तैयार रहना चाहिए।
कई राज्यों में कोयले का स्टॉक नहीं है, देशभर में यह बिजली संकट कब तक चलेगा?
ऐसा कोई संकट नहीं है। जितना कोयला उपयोग में आ रहा है, उतनी सप्लाई हो रही है। स्टॉक कम जरूर है, लेकिन उस स्टॉक को धीरे-धीरे भरेंगे। अचानक इसे इतना बड़ा संकट क्यों बना दिया गया है, ये समझ में नहीं आ रहा। कुछ ही दिनों में स्टॉक सामान्य हो जाएगा। प्लांट को जरूरत के हिसाब से स्टॉक देना शुरू करेंगे।