आज का दिन मेडिकल इतिहास का बड़ा दिन है। 67 साल पहले आज ही के दिन दुनिया का पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। बोस्टन के पीटर बेंट हॉस्पिटल में डॉक्टर जोसेफ मरे ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था।
ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन का आइडिया नया नहीं है। 1950 के पहले तक ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन को लेकर कई बड़ी उपलब्धियां वैज्ञानिकों को मिल चुकी थीं, लेकिन अभी तक किसी भी इंटरनल ऑर्गन को ट्रांसप्लांट नहीं किया गया था। वैज्ञानिक अब किसी इंटरनल ऑर्गन को ट्रांसप्लांट करने पर काम कर रहे थे। अगर वैज्ञानिक ऐसा करने में सफल हो जाते तो ये बड़ी उपलब्धि थी।
वैज्ञानिकों ने किडनी को ट्रांसप्लांट के लिए सबसे मुफीद माना क्योंकि मानव शरीर में 2 किडनी होती हैं। अगर एक किडनी को निकाल भी लिया जाए तब भी इंसान जिंदा रह सकता है। 1900 के बाद ही कई बार किडनी ट्रांसप्लांट की कोशिशें की गईं, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से मरीज की मौत हो गई। इस वजह से ट्रांसप्लांट को लेकर वैज्ञानिकों की उम्मीदें टूटने लगीं।
23 दिसंबर 1954 को वैज्ञानिकों को ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मिली। 23 साल के रिचर्ड हैरिक को किडनी की बीमारी थी। रिचर्ड हैरिक ने बोस्टन के एक हॉस्पिटल के डॉक्टरों से संपर्क किया। रिचर्ड के केस में एक अच्छी बात ये थी कि उनका एक जु़ड़वा भाई रोनाल्ड भी था।
इस वजह से फैसला लिया गया कि रिचर्ड को उनके जुड़वा भाई की किडनी ट्रांसप्लांट की जाएगी। डॉक्टर जोसेफ मरे की टीम ने करीब 5 घंटे चले ऑपरेशन में किडनी ट्रांसप्लांट की। ये ट्रांसप्लांटेशन सफल रहा और रिचर्ड 8 साल और जिंदा रहे। सर्जरी करने वाले डॉक्टर जोसेफ मरे को बाद में नोबेल पुरस्कार दिया गया।