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मनुष्य के विचार और व्यवहार की नम्रता ही मार्दव धर्म

shailendra kushwah | 21-Sep-2023
  : शहर के दुर्गा चौक स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन मार्दव धर्म धूमधाम से मनाया गया। छम छमा छम बाजे घुंघरू हाथों में दीपक लेकर आरती करूं की धुन पर महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। इसके अलावा जैन कव्वाली का आयोजन किया गया। श्री शांतिनाथ जिनालय में कौन बनेगा करो ...

 

: शहर के दुर्गा चौक स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन मार्दव धर्म धूमधाम से मनाया गया। छम छमा छम बाजे घुंघरू हाथों में दीपक लेकर आरती करूं की धुन पर महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। इसके अलावा जैन कव्वाली का आयोजन किया गया। श्री शांतिनाथ जिनालय में कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज पर कौन बनेगा धर्मात्मा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इन सभी कार्यक्रमों में जैन समाज के लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग िलया।


 कुएं के छने हुए जल से ही होता है अभिषेक : समाज के राकेश जैन ने बताया कि जैन धर्म में अभिषेक का बड़ा महत्व होता है। मान्यता है कि अभिषेक कुएं के छने जल से ही करना चाहिए, क्योंकि प्रासुक जल की मर्यादा केवल दो घड़ी अर्थात 48 मिनट की होती है। इसके बाद उसमें कई जीव उत्पन्न हो जाते हैं, जल को ठीक से प्रासुक करना चाहिए। यदि लौंग से प्रासुक करना हो तो लौंग इतनी मात्रा में डालें कि पानी का रंग एवं स्वाद बदल जाए। कुआं एवं बहते हुए जल के अतिरिक्त किसी भी जल से अभिषेक पूजन का शास्त्रों में प्रमाण नहीं मिलता है। उक्त जल के अभाव में विवेक पूर्वक जीव रक्षा का ध्यान रखते हुए जल का प्रयोग कर सकते हैं।