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तेज धूप का असर... धान के गड़े हुए खालीं, पीली पड़कर मुरझाने लगी फसल, कीटनाशक बेअसर

shailendra kushwah | 07-Oct-2023
  क्षेत्र में लंबे समय से बारिश का दौर थमा हुआ है, जिससे धान के गढ़े पानी के अभाव में सूख गए हैं और खेतों में दरारें पड़ गई है। अंचल में तेज धूप के कारण धान की फसल पीली पड़ गई है। फसल को माहू और फफूंदी रोग से बचाने के लिए किसानों को चार से पांच बार कीटनाशक के स्प्रे करना पड़ रहा है, इसके बाद भी अच्छे उ ...

 

क्षेत्र में लंबे समय से बारिश का दौर थमा हुआ है, जिससे धान के गढ़े पानी के अभाव में सूख गए हैं और खेतों में दरारें पड़ गई है। अंचल में तेज धूप के कारण धान की फसल पीली पड़ गई है। फसल को माहू और फफूंदी रोग से बचाने के लिए किसानों को चार से पांच बार कीटनाशक के स्प्रे करना पड़ रहा है, इसके बाद भी अच्छे उत्पादन की उम्मीद कम बनी हुई है। क्षेत्र के धान उत्पादक किसान मौसम में आने वाली तब्दीली को लेकर काफी परेशान देखे जा रहे हैं, क्योंकि धान रोपाई के साथ ही आने वाले मौसम में परिवर्तन के चलते धान की फसल को जो पिकअप मिलना था। वह नहीं मिल पा रहा।

पिछले 2 माह की मेहनत पर इस बदलने मौसम के कारण से किसानों के अरमानों पर फिर पानी फिरते देखा जा रहा है। विगत 13 दिनों से अचानक से आए मौसम में बदलाव के कारण तेज धूप पड़ रही है। वर्तमान में तापमान कभी 30 तो कभी 32 डिग्री सेल्सियस मापा जा रहा है। इतनी तेज धूप से खेतों की नमी कम हो रही है। साथ ही लगातार मौसम के बदलने से न केवल धान की फसल खराब हो रही है। बल्कि धान की फसल पीली और लाल पड़ रही है। साथ ही माहू ,फफूंदी रोग भी लग रहा है, जिसके कारण फसल का उत्पादन कम होने की संभावना निर्मित हो रही है, जिसके कारण किसान काफी चिंतित है।

किसानों की व्यथा: दिन में कर रहे 4 से 5 बार स्प्रे क्षेत्र के किसान जगदीश राजपूत ने बताया कि फसल को सुरक्षित रखने के लिए चार से पांच बार स्प्रे किया जा रहा है जबकि पूर्व में तीन बार ही कीटनाशक का फसल पर स्प्रे किया जाता था। एक स्प्रे में एक एकड़ पर 1500 रुपए का डोज एवं तीन मजदूर रुपए 900 एवं 500 रुपए टंकी का किराया देना पड़ रहा है, इस फसल को बचाने के लिए तीन से चार हजार रुपए अलग से खर्च करना पड़ रहे है, उसके बाद भी उम्मीद नहीं है कि फसल बचेगी कि नहीं। चार गांव के काश्तकार सुरेश तिवारी और अंकित रावत ने बताया कि पूर्व में होने वाली मूसलाधार बारिश से जहां धान की फसल के लिए बारिश का पानी अमृत के समान साबित हुआ है लेकिन अब पढ़ने वाली तेज धूप के कारण खेतों की क्यारियों का पानी गर्म होने से जमीन से भपका निकल रहे हैं, इस स्थिति से फसल में जड़ सड़न रोग लग गया है, जिस पर कीटनाशक का का भी अब असर होता दिखाई नहीं दे रहा है।

^मौसम में परिवर्तन के चलते धान की फसल को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि क्यारियों में भरा पानी बदलते रहे, ताकि पानी गर्म न हो और फसल को नुकसान न पहुंचे। इस तरह फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है। - अरुण रावत, कृषि विस्तार अधिकारी रायसेन

खेत में आ गई दरारें, कीटों का भी बढ़ा प्रकोप पिछले एक पखवाड़े से अंचल में तेज धूप निकल रही है, जिसके कारण धान की क्यारियां सूख गई हैं। जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। हालांकि बीच में दो-तीन दिन हुई बारिश से फसल को काफी फायदा हुआ था, किंतु बारिश थमते ही तेज धूप के कारण फसलों पर रोगों व कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है, ऐसी स्थिति में क्षेत्र के किसानों के द्वारा बड़ी मात्रा में फसलों को सुरक्षा देने को लेकर कीटनाशक दवाओं का स्प्रे किया जा रहा है । किसानों का कहना है कि बारिश के बाद मौसम के खुलते ही धान पर माहू और फंफूदी का प्रकोप देखा जा रहा है, जो बड़ी मात्रा में फसलों को नुकसान पहुंचा रही है।