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MP में 28 सीटों पर वोटिंग:69.68% मतदान; 2018 में इससे 3% ज्यादा वोटिंग हुई थी और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं

https://www.bhaskar.com/ | 06-Nov-2020
मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर वोटिंग खत्म हो गई है। इन सीटों पर 69.68% वोट डाले गए। 2018 में इन सीटों पर 72.93% मतदान हुआ था यानी इस बार से करीब 3% ज्यादा। पिछली बार वोटिंग ज्यादा हुई थी तो इन 28 सीटों में से कांग्रेस को 27 हासिल हुई थीं। आगर मालवा में सबसे ज्यादा बदनावर में 81.26% तथा सबसे कम ग्वाल ...

मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर वोटिंग खत्म हो गई है। इन सीटों पर 69.68% वोट डाले गए। 2018 में इन सीटों पर 72.93% मतदान हुआ था यानी इस बार से करीब 3% ज्यादा। पिछली बार वोटिंग ज्यादा हुई थी तो इन 28 सीटों में से कांग्रेस को 27 हासिल हुई थीं।

newsआगर मालवा में सबसे ज्यादा बदनावर में 81.26% तथा सबसे कम ग्वालियर ईस्ट में 42.99 प्रतिशत वोट डाले गए।

सीट    2020 में मतदान    2018 में मतदान
आगर मालवा    83.75%    83.11%
अम्बाह    54.30%    59.32%
अनूपपुर    73.37%    76.63%
अशोक नगर    76.02%    74.46%
बदनावर    83.20%    86.14%
बमौरी    78.84%    79.63%
भांडेर    72.59%    69.55%
ब्यावरा    81.77%    80.78%
डबरा    66.68%    68.64%
दिमनी    61.06%    70.34%
गोहद    54.42%    59.33%
ग्वालियर    56.15%    63.37%
ग्वालियर पूर्व    48.15%    58.18%
हाटपिपल्या    83.66%    85.57%
जौरा    69.00%    72.30%
करैरा    73.68%    73.62%
मलहरा    68.06%    72.13%
मंधाता    73.44%    78.98%
मेहगांव    61.18%    63.82%
मुरैना    57.80%    63.92%
मुंगावली    77.17%    75.02%
नेपानगर    75.81%    77.77%
पोहरी    76.02%    75.92%
सांची    68.87%    75.37%
सांवेर    78.01%    80.97%
सुमावली    63.04%    71.83%
सुरखी    71.97%    75.77%
सुवासरा    82.61%    82.67%
कुल    69.68%    72.93%
* 2020 के आंकड़े शाम 7 बजे तक की वोटिंग के हैं।

उपचुनाव के हाईलाइट्स
1. दिग्विजय ने की दोबारा वोटिंग की मांग
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर EVM से वोटिंग करवाने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सुमावली सीट पर पुनर्मतदान कराया जाना चाहिए। सुमावली में महिलाओं को वोट डालने से रोका गया है, इसलिए यहां पर फिर से मतदान कराया जाना चाहिए। शिवराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस पहले ही हार की भूमिका बनाने लगी है।


2. भिंड और मुरैना में फायरिंग
भिंड के मेहगांव में दो जगहों पर फायरिंग हुई। मेहगांव के लिलोई गांव में कुछ लोगों ने ईवीएम में भी तोड़फोड़ कर दी। मुरैना जिले में सुमावली विधानसभा सीट के कासपुरा और खनेता गांव में फायरिंग की घटना हुई। इसमें एक महिला को गोली लगी। यहां दो बाइक भी जलाई गईं। मुरैना के ही जौरी गांव में पूर्व सांसद बाबूलाल सोलंकी के निवास पर भी फायरिंग हुई है।

3. कांग्रेस प्रत्याशी की डायरी जब्त, इसमें लाखों का लेन-देन
मुरैना जिले की जौरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी पंकज उपाध्याय की डायरी पुलिस ने जब्त की है। आरोप है कि डायरी में ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं से लाखों रुपए लेन-देन का हिसाब है। पुलिस ने डायरी अलापुर गांव में स्थित एक मकान से जब्त की।

4. सांवेर में फर्जी वोटर पकड़ा गया, भाजपा-कांग्रेस कार्यकर्ता भिड़े
सांवेर में इंडेक्स कालेज स्थित मतदान केंद्र पर एक फर्जी मतदाता पकड़ा गया। कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू की अधिकारियों से बहस हुई। सांवेर के ही तलावली चांदा बूथ पर कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए। कांग्रेसियों का आरोप है कि बीजेपी के कार्यकर्ता मतदाताओं पर उनके पक्ष में वोट करने के लिए दबाव बना रहे थे।

5. बामोरी में भाजपा नेता समेत 3 पर केस, जौरा में वोटिंग रोकने की कोशिश
बमोरी क्षेत्र में घूमने पर गुना के भाजपा जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिकरवार समेत तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। जौरा में ही बाहुबलियों ने मतदान रोकने की कोशिश की। ग्वालियर में भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ता के बीच बहस हुई। बहस तब शुरू हुई, जब माल रोड स्थित पोलिंग बूथ पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर वोट और कांग्रेस प्रत्याशी सतीश सिकरवार दोनों वोट डालने पहुंच गए।

महिला पोलिंग बूथ पर वोटर सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है, ताकि लोग बढ़-चढ़कर वोटिंग में हिस्सा लें।
महिला पोलिंग बूथ पर वोटर सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है, ताकि लोग बढ़-चढ़कर वोटिंग में हिस्सा लें।
पिछले दो चुनाव में 23 मंत्री हार चुके
पिछले दो विधानसभा चुनाव का रिकॉर्ड देखें तो शिवराज सरकार के 23 मंत्रियों को जनता ने घर बैठा दिया था। वर्ष 2013 में 10 और 2018 में 13 मंत्री विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए। इस बार 3 नवंबर 2020 को होने वाले चुनाव में 14 मंत्रियों की साख दांव पर लगी है। इसमें से 11 पर तो भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर है, क्योंकि यह उनके कहने पर ही पार्टी बदलकर भाजपा में आए हैं।

इन पर सबकी नजर
सिंधिया समर्थक भाजपा सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया, सुरेश धाकड़, बृजेंद्र सिंह यादव, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, ऐंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप सिंह डंग पर सबकी नजर रहेगी। हालांकि, यह अपने बयानों को लेकर भी विवादों में रह चुके हैं।

वोटों का गणित साधने की कोशिश
कांग्रेस से भाजपा में गए 25 पूर्व विधायकों के सामने फिर से विधायक बनने के रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती खुद को मिले वोटों के अंतर को पाटना है, जो उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भाजपा उम्मीदवारों से अधिक मिले थे। इस मामले में सबसे ज्यादा चुनौती उन पूर्व विधायकों के सामने हैं, जो 2000 से कम मतों से जीते थे। इनमें मंत्री हरदीप सिंह डंग की जीत सबसे छोटी थी और वह 350 मतों से जीते थे। उसके बाद मांधाता के नारायण पटेल 1236 और नेपानगर की सुमित्रा देवी 1256 मतों से जीती थीं।