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बच्चों को नहीं मिल रहा ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ कहीं बिजली तो कहीं मोबाइल नेटवर्क की समस्या

https://www.bhaskar.com/ | 11-Nov-2020
कोचिंग में ज्यादा फीस देकर भविष्य बनाने की मजबूरी, 27 हजार छात्र-छात्राओं की पढ़ाई हो रही प्रभवित इन दिनों स्कूल खोलने की अनुमति भले ही शासन ने दे दी है,लेकिन शासन की गाइडलाइन के तहत ही पढ़ाई और अन्य काम स्कूल में होंगे । यही बजह है कि सरकारी और प्राइवेट स्कूल संचालकों ने भी कोरोना गाइडलाइन के कार ...

कोचिंग में ज्यादा फीस देकर भविष्य बनाने की मजबूरी, 27 हजार छात्र-छात्राओं की पढ़ाई हो रही प्रभवित

newsइन दिनों स्कूल खोलने की अनुमति भले ही शासन ने दे दी है,लेकिन शासन की गाइडलाइन के तहत ही पढ़ाई और अन्य काम स्कूल में होंगे । यही बजह है कि सरकारी और प्राइवेट स्कूल संचालकों ने भी कोरोना गाइडलाइन के कारण ऑनलाइन शिक्षा के जरिए छात्रों को पढाई करवा रहे हैं । लेकिन परेशानी यह है कि ग्रामीण अंचलों में ऑनलाइन शिक्षा का लाभ छात्र छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है जिसका खामियाजा यह है कि छात्र छात्राओं को कोचिंग लगाकर पढ़ाई करना पड़ रही है । हालत यह है कि कभी टेलीकाम कंपनियों के नेटवर्क नहीं मिल रहे तो कई परिवारों के पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है । जिसके चलते ग्रामीण अंचलों के छात्र छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । लॉकडाउन से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करवाई गई है शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप व जूम एप के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन नेटवर्क न मिलने के कारण ऑनलाइन क्लास ज्वाइन नहीं कर पा रहे हैं ।

संवाद न होने से दक्षता से अनभिज्ञ शिक्षक
ग्रामीण क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा में शिक्षक छात्रों की वास्तविक क्षमता से अनभिज्ञ है। दूसरी ओर छात्र भी शिक्षा के प्रति लापरवाह हो गए हैं जिसके चलते छात्रों के समग्र विकास नहीं हो पा रहा है । क्योंकि जब छात्र स्कूल जाता है, वह अपने आस-पास के वातावरण से परिचित होता ही है साथ ही उनमें व्यक्तिगत सुरक्षा की भावना भी बढ़ती है ऑनलाइन क्लास के नाम पर ग्रामीण क्षेत्र में सिर्फ खानापूर्ति की जा रही हे ना तो कंटेंट ढंग से दिया जाता है और न ही बच्चों से सही ढंग से संवाद हो पाता है, जबकि शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक व विद्यार्थी के मध्य उचित संवाद होना आवश्यक है।

बच्चों के साथ अभिभावक भी हो रहे परेशान
ऑनलाइन कक्षाएं शिक्षकों के लिए भी एक चुनौती से कम नहीं हैं। ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था में ही इतना समय व्यर्थ हो जाता है कि बच्चों को नवीन ज्ञान देने के स्थान पर कक्षीय वातावरण के अभाव में ये कक्षाएं एक बोझ बन कर रह गई हैं, वहीं दूसरी ओर बच्चों के अभिभावक भी ऑनलाइन कक्षाओं से हर दिन जूझ रहे हैं। बच्चों से अधिक उनके अभिभावकों के लिए ये कक्षाएं परेशानी का सबब बन गई हैं। विशेषकर छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों का ज्यादा समय तक मोबाइल के सामने बैठना चिंता का विषय है। जब तक कक्षाएं चलती हैं, अभिभावकों को उनके साथ बैठना पड़ता है।